Wednesday, April 8, 2009

Koshish karane walon ki kabhi haar nahin hoti

लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है।
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है।
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है,
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है।
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में।
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो।
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्ष का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम।
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

Friday, September 21, 2007

bholu

भोलू तेली गाँव में, करै तेल की सेलगली-गली फेरी करै, 'तेल लेऊ जी तेल''तेल लेऊ जी तेल', कड़कड़ी ऐसी बोलीबिजुरी तड़कै अथवा छूट रही हो गोलीकहँ काका कवि कछुक दिना सन्नाटौ छायौएक साल तक तेली नहीं गाँव में आयोमिल्यौ अचानक एक दिन, मरियल बा की चालकाया ढीली पिलपिली, पिचके दोऊ गालपिचके दोऊ गाल, गैल में धक्का खावै'तेल लेऊ जी तेल', बकरिया सौ मिमियावैपूछी हमने जे कहा हाल है गयौ तेरौभोलू बोलो, काका ब्याह है गयौ मेरौ

path ki pahchaan

1. पूर्व चलने के बटोही बाट की पहचान कर ले।
पुस्तकों में है नहीं छापी गई इसकी कहानी,
हाल इसका ज्ञात होता है न औरों की जबानी
अनगिनत राही गए इस राह से उनका पता क्या
पर गए कुछ लोग इस पर छोड़ पैरों की निशानी
यह निशानी मूक होकर भी बहुत कुछ बोलती है
खोल इसका अर्थ पंथी पंथ का अनुमान कर ले।
पूर्व चलने के बटोही बाट की पहचान कर ले।

2. यह बुरा है या कि अच्छा व्यर्थ दिन इस पर बिताना
अब असंभव छोड़ यह पथ दूसरे पर पग बढ़ाना
तू इसे अच्छा समझ यात्रा सरल इससे बनेगी
सोच मत केवल तुझे ही यह पड़ा मन में बिठाना
हर सफल पंथी यही विश्वास ले इस पर बढ़ा है
तू इसी पर आज अपने चित्त का अवधान कर ले।
पूर्व चलने के बटोही बाट की पहचान कर ले।

3. है अनिश्चित किस जगह पर सरित गिरि गह्वर मिलेंगे
है अनिश्चित किस जगह पर बाग वन सुंदर मिलेंगे
किस जगह यात्रा खतम हो जाएगी यह भी अनिश्चित
है अनिश्चित कब सुमन कब कंटकों के शर मिलेंगे
कौन सहसा छू जाएँगे मिलेंगे कौन सहसा
आ पड़े कुछ भी रुकेगा तू न ऐसी आन कर ले।
पूर्व चलने के बटोही बाट की पहचान कर ले।

4. कौन कहता है कि स्वप्नों को न आने दे हृदय में
देखते हैं सब इन्हें अपनी उमर, अपने समय में।
और तू कर यत्न भी तो मिल नहीं सकती सफलता,
ये उदित होते, कुछ ध्येय नयनों के निलय में ।
किन्तु जग के पथ पर यदि स्वप्न दो तो सत्य दो सो,
स्वप्न पर हि मुग्ध मत हो, सत्य का भी ग्यान कर ले।
पूर्व चलने के बटोही बाट की पहचान कर ले।

5. स्वप्न आता स्वर्ग का, दृग कोरको में दीप्ति आती,
पंख लग जाते पगों को, ललकती उन्मुक्त छाती।
रास्ते का ऍक काँटा पाँव का दिल चीर जाता,
रक्त की दो बूँद गिरती, ऍक दुनिया डूब जाती।
आँख में हो स्वर्ग लेकिन पाँव पृथ्वी पर टिके हो,
कंटकों की इस अनोखी सीख का सम्मान कर ले।
पूर्व चलने के बटोही बाट की पहचान कर ले।